'कम्पाउंडिंग' एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें पूंजीगत लाभ या मुनाफे को अतिरिक्त आय उत्पन्न करने के लिए पुनर्निवेशित किया जाता है। आपके निवेश की वृद्धि प्रतिपादकीय होती है, क्योंकि मूलधन से ब्याज अर्जित किया जाता है और साथ ही पिछली अवधि में अर्जित अतिरिक्त कमाई भी एकत्र होती जाती है।
यह कैसे काम करता है?
कम्पाउंडिंग करते समय प्रथम वर्ष का ब्याज मूल राशि में जोड़ा जाता है। अब दूसरे वर्ष के लिए ब्याज की गणना के लिए मूल राशि पहले वर्ष की तुलना में अधिक होती है। इस प्रकार ब्याज भी अधिक होगा। इस तरीके से हर साल मूल राशि पर आय में वृद्धि जारी रहेगी।
उदाहरण के लिए -
मान लीजिए आपने किसी वित्तीय साधन में 50,000 रुपए निवेश किए, जिस पर सालाना 10% की दर से कम्पाउंड ब्याज मिलता है। 20 साल बाद यह निवेश आपको 3.36 लाख रुपए रिटर्न देगा।
कम्पाउंडिंग की शक्ति अपार है। यह आपकी बचत से कमाई करने में आपकी मदद कर सकता है। तो आप कम्पाउंडिंग का लाभ कैसे उठा सकते हैं? जानने के लिए पढ़ना जारी रखें।
जल्दी शुरुआत करें।
यदि आप कम्पाउंडिंग का सर्वोत्तम उपयोग करना चाहते हैं, तो आपको जल्दी शुरुआत करनी चाहिए। निवेश की अवधि जितनी लंबी होगी, बेहतर रिटर्न की संभावना उतनी ही प्रबल होगी। कम्पाउंडिंग प्रभाव के कारण एक लंबी समयावधि आपको अधिक मुनाफा प्रदान करेगी। यही कारण है कि आपको अपनी वित्तीय योजना को जल्द से जल्द शुरू करना चाहिए और आपके लिए कम्पाउंडिंग को अपना प्रभाव अच्छे से दिखाने के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए। जल्दी निवेश करना यह सुनिश्चित करता है कि आपकी सेवानिवृत्ति के समय आपके पास एक बड़ा कोष होगा। इसके अलावा किसी अनहोनी की स्थिति में आपके परिवार और आश्रितों के पास जरूरी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जरूरी धन भी होगा।
सोच-समझकर निवेश करें
ब्याज की दर आपके इन्वेस्टमेंट रिटर्न्स को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। निवेश दर जितनी अधिक होगी, आपकी कमाई की संभावनाएं भी उतनी ही बेहतर होंगी। ब्याज की दर लंबी अवधि में एक महत्वपूर्ण अंतर पैदा करती है।

आइए ऊपर वाले उदाहरण की तरह ही इस बात को और अच्छी तरह से समझें।
यदि आप उसी मूल राशि को 7% की ब्याज दर के साथ मानें, तो 20 वर्षों के अंत में कुल राशि लगभग 1.9 लाख रुपए होगी, जो कि 10% ब्याज दर वाली राशि की तुलना में लगभग आधी ही है।
हालांकि, जब उसी राशि को 14% ब्याज दर पर निवेश किया जाता है, तो यह लगभग 6.87 लाख रुपए बनेगी।
इस प्रकार आप देख सकते हैं कि ब्याज दर में एक छोटा सा बदलाव आपके रिटर्न्स पर कितना बड़ा प्रभाव डाल सकता है। इस प्रकार योजना बनाने, जांच-पड़ताल करने और फिर सावधानी से निवेश करने की सलाह दी जाती है।
अपना निवेश बढ़ाएं।
रिटर्न्स आपके निवेश के लिए प्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक होते हैं। जितना अधिक आप निवेश करते हैं, आपकी कमाई के मौके उतने ही बेहतर होते हैं। हालांकि यह एक ऐसा पहलू है, जिसे निवेश योजना में अक्सर अनदेखा किया जाता है। आय और साथ ही किसी व्यक्ति की बचत भी समय के साथ बढ़ती है। हालांकि निवेश राशि में कोई बदलाव नहीं होता है। वित्तीय संस्थान आपको समय के साथ अपने निवेश को बढ़ाने का विकल्प प्रदान करते हैं। समय के साथ निवेश से अपने रिटर्न्स को बढ़ाने का यह एक सुनहरा अवसर होता है।
नियमित रूप से निवेश करें।
वैकल्पिक रूप से आपके बदलते वित्तीय लक्ष्यों का संज्ञान लेने के लिए कंपनियां आपको पॉलिसी अवधि के भीतर ही उच्च प्रीमियम का भुगतान करके बेहतर सुविधाओं वाली योजना का विकल्प चुनने का अवसर प्रदान करती हैं, ताकि आपको किसी नई योजना की खरीदारी और उसके लिए प्रीमियम्स के भुगतान जैसी परेशानियों से न गुजरना पड़े।
निवेश करने पर निर्णय लेने से पहले अच्छी तरह से जांच-पड़ताल करें। विज्ञापनों और सेल्समैन द्वारा किए जाने वाले लंबे-चौड़े दावों से गुमराह न हों। अपने द्वारा किए जाने वाले निवेश से जुड़े जोखिमों तथा अन्य नियमों और शर्तों के बारे में अच्छे से जांच-पड़ताल करना हमेशा अच्छा रहता है।